ट्रेडिंग रणनीतियों को विकसित करने के लिए तकनीकी संकेतकों का उपयोग कैसे करें

सफल ट्रेडिंग के लिए एक ट्रेडिंग रणनीति महत्वपूर्ण है। एक ट्रेडर के सफल होने की संभावना नहीं है जब किसी विशेष ट्रेडिंग एप्रोच के बिना वह आँख बंद करके ट्रेड करता है। एक ट्रेडिंग रणनीति में प्राइस मूवमेंट के आधार पर विशिष्ट प्रवेश और निकास बिंदु शामिल होते हैं। चार्ट पैटर्न, कैंडलस्टिक्स और तकनीकी संकेतकों जैसे तकनीकी विश्लेषण उपकरणों के संकेतों द्वारा इन मूवमेंट को हाइलाइट किया जाता है। एक रणनीति केवल तभी काम करती है जब संकेत सही हों। इसलिए, संकेतकों का चुनाव आवश्यक है।

तकनीकी संकेतकों को चुनने और संयोजित करने का तरीका जानने के लिए आगे पढ़ें ताकि वे सफलतापूर्वक ट्रेड करने में आपकी सहायता कर सकें।

तकनीकी संकेतक क्या है?

संकेतक एक तकनीकी विश्लेषण टूल है जिसकी गणना मूल्य, मात्रा और ओपन इंटरेस्ट ऐतिहासिक डेटा के आधार पर एक विशेष गणितीय सूत्र के साथ की जाती है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि सभी प्रोफेशनल ट्रेडर्स में से 80% तकनीकी विश्लेषण पर भरोसा करते हैं, जबकि केवल 20% मौलिक विश्लेषण पसंद करते हैं?

संकेतक ट्रेडर्स और निवेशकों को विशेष बाजार स्थितियों के बारे में सूचित करते हैं जिसका उपयोग फ्यूचर प्राइस ट्रेंड्स की भविष्यवाणी के लिए किया जा सकता है।

संकेतक कई प्रकार के हैं। सबसे आम वर्गीकरण हैं:

  • ट्रेंड इंडीकेटर्स: ये टूल मार्किट ट्रेंड को दर्शाते हैं और इसकी ताकत को मापते हैं। ट्रेंड इंडीकेटर्स लेगिंग होते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके संकेत देरी से दिखाई देते हैं।
  • वॉल्यूम इंडीकेटर्स: ये संकेतक संपत्ति में रुचि और खरीदारों और विक्रेताओं की ताकत को दर्शाते हैं।
  • वोलाटिलिटी इंडिकेटर: ये टूल्स मूल्य में उतार-चढ़ाव की डिग्री दिखाते हैं।
  • मोमेंटम इंडिकेटर: ये संकेतक प्राइस मूवमेंट्स की गति निर्धारित करते हैं। अधिकांश गति संकेतक अग्रणी हैं, इसलिए उनका उपयोग त्वरित संकेतों के लिए किया जा सकता है।

क्या तकनीकी संकेतक काम करते हैं?

तकनीकी संकेतक काम करते हैं, लेकिन अगर केवल सही तरीके से उपयोग किया जाए। करेक्टनेस कुछ कारकों द्वारा निर्धारित की जाती है, जिसमें एसेट, टाइमफ्रेम, पैरामीटर और कन्फर्मेशन शामिल है।

एसेट

मूल प्रवृत्ति संकेतक: एमए (मूविंग एवरेज) क्या है?

हालांकि तकनीकी संकेतक मानक हैं, यह विचार करने योग्य है कि आप किस एसेट को ट्रेड करते हैं। उदाहरण के लिए, मेजर करेंसी पेयर की तुलना में स्टॉक अधिक अस्थिर हैं। इसलिए, लैगिंग संकेतक करेंसी चार्ट पर बेहतर काम करेंगे और महत्वपूर्ण मूल्य में उतार-चढ़ाव के साथ स्टॉक चार्ट पर संकेत प्रदान करने में बहुत धीमे हो सकते हैं।

टाइमफ्रेम

टाइमफ्रेम निर्धारित करता है कि आप कितनी जल्दी ट्रेड बंद करते हैं। कम समय सीमा पर लैगिंग इंडिकेटर का उपयोग करना जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए, स्केलपर्स और डे ट्रेडर्स मोमेंटम इंडीकेटर्स पसंद करते हैं। लंबी अवधि में ट्रेडिंग करते समय, ट्रेडर्स ट्रेंड इंडीकेटर्स का उपयोग करते हैं क्योंकि मोमेंटम वाले बाजार में शोर पैदा कर सकते हैं।

पैरामीटर

संकेतक अपनी मानक सेटिंग के साथ किसी भी समय सीमा पर प्रभावी हो सकते हैं। फिर भी, समय सीमा के संबंध में उनके पैरामीटर बदले जाने चाहिए। एक सामान्य नियम यह है कि लॉन्गर इंडिकेटर पीरियड उच्च समय सीमा पर अधिक प्रभावी होते है, जबकि कम समय सीमा के लिए शोर्ट पीरियड बेहतर होते है।

कन्फर्मेशन

यहां तक कि सबसे विश्वसनीय संकेतक भी 100% सटीक संकेत नहीं दे सकते। इसलिए, प्रत्येक इंडिकेटर अलर्ट की पुष्टि दूसरे तकनीकी उपकरण से की जानी चाहिए, जिसमें कैंडलस्टिक्स और चार्ट पैटर्न शामिल हैं।

तकनीकी संकेतकों का उपयोग कैसे करें?

एक संकेतक के मापदंडों और संकेतों को सही ढंग से सीखना पर्याप्त है। हालाँकि, सभी उपकरणों को जानना अभी भी असंभव है। इसलिए, आप अपनी पसंद के कई संकेतक चुन सकते हैं और उनके साथ ट्रेडिंग करने का अभ्यास कर सकते हैं या सबसे लोकप्रिय संकेतों के साथ शुरू कर सकते हैं।

सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले तकनीकी संकेतक क्या हैं?

सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले संकेतक वे हैं जिन्होंने वर्षों से अपनी विश्वसनीयता साबित की है। उनमें आते हैं:

  • मूविंग एवरेज: हर ट्रेडर ने मूविंग एवरेज का इस्तेमाल किया है। प्रवृत्ति दिशा की पहचान करने के लिए यह एक सरल लेकिन ठोस टूल है।
  • मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (एमएसीडी): यह इंडिकेटर उपर्युक्त मूविंग एवरेज पर आधारित है। ट्रेंड रिवर्सल को निर्धारित करने के लिए इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
  • रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI): यह एक आसलेटर है जिसका उपयोग आमतौर पर बाजार की ओवरबोट और ओवरसोल्ड स्थितियों और ट्रेंड के उलट होने की पहचान करने के लिए किया जाता है।
  • बोलिंगर बैंड: यह एक अस्थिरता इंडिकेटर है, जिसका उपयोग पोटेंशियल रिवर्सल पॉइंट्स की पहचान करने के लिए भी किया जाता है।
  • फिबोनैकी लेवल: फिबोनैकी रिट्रेसमेंट और एक्सटेंशन एक प्रसिद्ध टूल है जो प्राइस रिवर्सल की भविष्यवाणी करता है।
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मुझे कितने तकनीकी संकेतकों का उपयोग करना चाहिए?

शुरुआती ट्रेडर्स का मानना है कि वे जितने अधिक टूल का उपयोग करेंगे, उनकी रणनीति अधिक प्रभावी होगी। हालाँकि, यह एक भ्रम है। सिद्धांत कहते हैं कि दो-तीन संकेतकों को लागू करना पर्याप्त है। एक साथ उपयोग करने के लिए सबसे अच्छे तकनीकी संकेतक कौन से हैं? कंबाइन करने के लिए सबसे अच्छे तकनीकी संकेतक विभिन्न प्रकार वाले होते हैं। यदि आप दो मोमेंटम इंडीकेटर्स जोड़ते हैं जो समान संकेत प्रदान करते हैं, तो वे पुष्टि नहीं करेंगे बल्कि एक दूसरे की नकल करेंगे। ट्रेडर्स आमतौर पर ट्रेंड और मोमेंटम टूल्स को जोड़ते हैं। वॉल्यूम और वोलाटिलिटी इंडीकेटर्स बाजार विश्लेषण के अतिरिक्त मेथड के रूप में उपयोग किए जाते हैं।

क्या सीखें 

सबसे लोकप्रिय फ्लैट संकेतक क्या हैं?

तकनीकी संकेतक सरल हैं और इसके लिए गहन ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। आपको अपनी ट्रेडिंग रणनीति में उन्हें लागू करने के लिए केवल उनके सर्वोत्तम मापदंडों और संकेतों को सीखने की आवश्यकता है। यदि आप आश्वस्त नहीं हैं, तो सबसे लोकप्रिय टूल से शुरुआत करें, डेमो अकाउंट पर उनका परीक्षण करें और प्रत्येक ट्रेड के बारे में नोट्स बनाएं। याद रखें कि हर संकेत की पुष्टि होनी चाहिए।

Sources:

Technical analysis: Staying on top of the ups and downs, Financial Times

Technical Indicator: Definition, Analyst Uses, Types and Examples, Investopedia

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